शुभा मुद्गल बोलीं- टैलेंट शो में अच्छी आवाज सुनाई देती है, सालभर बाद वो गायक कहीं नहीं होते; ये स्थिति दुखद


जयपुर. जेएलएफ (जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल) में शुक्रवार की शुरुआत गायक शुभा मुद्गल के सेशन के साथ हुई। उन्होंने सुधा सदानंद के साथ अपनी किताब पर बात की। उन्होंने रियेलिटी शो पर बात करत हुए कहा कि आप टैलेंट शो में अच्छी आवाज सुनते हैं, लेकिन सालभर बाद वो गायक कहीं नहीं होते। ये दुखद है।


'आज सिंगर्स वहीं गाते है जहां उनके मैनेजर चाहते'


शुभा मुद्गल ने कहा - मुझे नहीं लगता की रियेलिटी शो में जजेस पार्टीसिपेंट के साथ अनफेयर होते हैं। यहां से भी बहुत अच्छा टैलेंट निकलकर बाहर आ रहा है, जिन्हे सुनने का मन करता है। वो आपको कई बार अपनी गायकी से हैरान कर देते हैं। लेकिन, कभी किसी ने उनसे पूछा की शो के तीन महीने बाद वो कैसे हैं। क्या किसी ने जाना की शो खत्म होने के 3 साल बात उनके साथ क्या हुआ। क्या उन्होंने संगीत की दुनिया में कोई मुकाम हासिल किया? उन्होंने शो से संगीत के बारे में कुछ सीखा क्या? आज सिंगर्स वहीं गाते है जहां उनके मैनेजर चाहते हैं। टैलेंट शो पर मुझे आपत्ति नहीं है। लेकिन, मुझे पसंद नहीं की एक संगीतकार कॉनट्रेक्ट में बंधकर अपने संगीत में प्रोग्रेस करने का समय ही न दे पाए। जिस पर काम करने की जरूरत है।


लोगों की फरमाइश पर सुनाया ये गीत


सीखो ना नैंनो की भाषा पिया
कह रही तुमसे यह खामोशियां
सीखो ना, लब तो ना खोलूंगी मैं
समझो दिल की बोली
सीखो ना नैनो की भाषा पिया


अब के सावन ऐसे बरसे,
बह जाए रंग मेरी चुनर से
भीगे तन मन जियरा तरसे,
जम के बरसे जरा
रुत सावन की, घटा सावन की,
घटा सावन की, ऐसे जमके बरसे
अब के सावन ऐसे बरसे,
हे बह जाये रंग मेरी चुनर से
भीगे तन मन जियरा तरसे,
जम के बरसे जरा