जयपुर (महेश शर्मा). सांभर झील का किनारा परिंदों के शवों का समंदर बन गया है। शनिवार काे भी 2700 मृत मिले। अब सरकारी आंकड़ाें में भी मृत पक्षियों की संख्या 10 हजार के पार पहुंच गई है। हैरानी की बात ये है कि 4 दिन बाद भी मौत के सही कारणाें का खुलासा नहीं हो पाया है।
मुख्यमंत्री ने दो दिन पहले एक और रेस्क्यू सेंटर बनाकर पक्षियों को इलाज मुहैया कराने की बात कही थी, लेकिन यह व्यवस्था शुरू नहीं हो पाई है। जयपुर डिविजन में ही जिस नर्सरी में पक्षियाें को लाकर रेस्क्यू किया जा रहा है, वह लगभग भर चुकी है। ऐसे में स्थानीय अफसर जैसे-तैसे पक्षियों को रखने की व्यवस्था कर रहे हैं।
पक्षियों की मौत के कारणों की तीन जगहों से रिपोर्ट आनी बाकी है। इस बीच सभी एक्सपर्ट ने सरकारी विभागों को एक ही काम दिया है- झील और किनारों के आसपास दम तोड़ सड़-गल रही पक्षियों की लाशों को उठाया जाए। साथ ही घायल, दम तोड़ रहे परिंदों को दूर रेस्क्यू किया जाए। भास्कर ने दो दिन झील के कई तटों की खाक छानी तो इसी में सरकारी अमला फेल नजर आया।
झील में आसान पहुंच वाले जिन तटों से मृत परिंदों को उठाने की बात कही गई है, दरअसल वहीं पर कई नन्हें परिंदों की लाशें पड़ी हैं। शाकंभरी माता मंदिर तक पहुंचने के रास्ते में झील के दूसरी ओर पानी के स्पॉट पर यही नजारा शनिवार को दिखा। भास्कर टीम मौके पर पंहुची तो 100 मीटर एरिया में ही 20 नन्ही चिड़ियों (केंटिस फ्लोवर) की लाशें इधर-उधर पड़ी थीं। इनमें से कई जिंदगी की जंग लड़ते हुए उड़ान भरने की कोशिश में थीं, लेकिन पंख साथ नहीं दे रहे थे। ऐसे कई स्पॉट अभी तक बाकी हैं।
अधिकारी सिर्फ फोन और कागजी रिपोर्ट में ही उलझे रहे
घायल परिंदों को रेस्क्यू करना बड़ा चैलेंज बन गया है। इस काम में बड़े अधिकारियों की लापरवाही सामने आ रही है, जो मौके पर नहीं पहुंच रहे और केवल फोन या कागजी रिपोर्ट में उलझे हैं। चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन ने डेटा कलेक्शन कर रिपोर्ट देने में लगे हैं, जबकि फील्ड में पक्षियों को रेस्क्यू कराने के लिए उनकी जरूरत है। अभी तक वन विभाग जयपुर डिविजन में ही पक्षियों के रेस्क्यू की प्रॉपर व्यवस्था नहीं कर पाया। नागौर डिविजन में तो झील से पक्षी उठाने को नाव आदि इंतजाम तक नहीं हुए। सीसीएफ अजमेर आरके जैन से पक्षियों के रेस्क्यू, इंतजामों पर सवाल किए तो कभी उन्होंने एनिमल हसबेंडरी तो कभी कलेक्टर आदि का नाम आगे किया। वन विभाग की कोई जिम्मेदारी है या नहीं, इस पर बोले कि चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन को सब पता है।
पहली बार डोमेसियन क्रेन और ईगल आउल की डेडबॉडी मिली
पक्षियों की लाशें उठाने के दौरान पहली बार मंगोलिया से आने वाले प्रवासी पक्षी डोमेसियन क्रेन और ईगल आउल के डेडबॉडी भी मिली है। इसे देख जानकारों को चिंता सताने लगी है। चूंकि अभी तक मरने वालों में नॉर्दन शोवलर और केंटिस फ्लोवर की ही तादात ज्यादा रही है। हैरानी की बात यह है कि पक्षियों की लाशों को दफनाने के समय भी अफसर नदारद थे, यह काम नगर पािलका कर्मचािरयों के भरोसे छोड़ा है।